पूर्वोत्तर सीमा (पू.सी./N.F) रेल का इतिहास भूतपूर्व असम रेलवे एवं ट्रेडिंग कंपनी, असम बंगाल रेलवे और ईस्टर्न बंगाल रेलवे से शुरू होता है। वर्तमान पूर्वोत्तर सीमा रेल के गठन में असम बंगाल रेलवे का बहुत बड़ा योगदान है। वर्ष 1884 में मार्घर्मरिता में माकुम कोयला खानों तक असम रेलवे पी. ट्रेडिंग कंपनी ने सर्वप्रथम रेलवे लाइन बिछाया। कंपनी ने डिब्रू सादिया रेलवे के नाम से असम में प्रथम यात्री रेल प्रणाली की भी स्थापना की। पूर्वोत्तर बंगाल रेलवे ने हल्दीबाड़ी-सिलीगुड़ी, बारसोई-किशनगंज, मनिहारी-कटिहार-कस्बा इन सेक्टरों का निर्माण किया तथा 1900 से पहले कुछ समय के लिए खोला। उन्हेंने 1900-1911 की अवधि के दौरान हासीमारा-अलीपुरद्वार ,गीतालदाह-बामनहाट, गोलकगंज-अमीनगांव, रंगिया-रंगापाड़ा एवं धुबड़ी नाम के अन्य सेक्शनों में नेटवर्क का विस्तार किया। असम रेलवे एवं ट्रेडिंंग कंपनी, पूर्वोत्तर बंगाल रेल तथा असम बंगाल रेल जो बराक घाटी क्षेत्र में भी परिचालित था, जिसे द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान मिला दिया गया, बंगाल असम रेल के नाम से प्रसिद्ध हुआ। अतः कुछ कंपनियों ने इन रेलों को अपनाया जिनके नाम हैः बंगाल दुआर्स रेलवे, जोरहाट प्रीविंसियल रेलवे, चापरमुख सिलाघाट रेल और काटाखाल लालबाजार रेल इत्यादि को बंगाल असम रेल प्रणाली में मिला दिया गय। अगस्त 1947 में भारत के विभाजन के साथ, राजनीतिक सीमाओं के अनुसार बंगाल असम रेलवे दो भागों में बाटा गया जिसके कारण असम रेल का गठन हुआ जिसका मुख्यालय पांडू में स्थापित हुआ। वर्ष 1948 में भारत सरकार ने दार्जिलिंग हिमालयन रेल को अपने अधिकार में लेकर असम रेल में मिला दिया। देश के विभाजन और पूर्वी पाकिस्तान (अब बंगलादेश) के निर्माण के कारण शेष भारत से असम राज्य के साथ संपर्क बिल्कुल टूट गया। जनवरी, 1950 में असम रेल लिंक परियोजना के पूरा होने के साथ यह पुनर्बहाल हुआ। 1953 में क्षेत्रीय रेलों के पुनर्गठन के दौरान असम रेलवे और अवध तिरहुत रेलवे को मिलाकर पूर्वोत्तर रेल का गठन किया गय। जिसका मुख्यालय गोरखपुर में बनाया गय। 15 जनवरी,1958 में पूर्वोत्तर रेल के कुछ भाग को पृथक कर पू0सी0रेल का गठन किया गया. जिसका मुख्यालय देवी कामाख्या के वास-स्थल,नीलाचल पर्वत की तलहटी में स्थित मालीगांव, गुवाहाटी में बनाया गया। पूर्वोत्तर सीमा रेल भारत संघ के दस राज्यों जैसेः अरूणाचल प्रदेश, बिहार, मणीपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल की उत्कृष्ट सेवा कर रही है। इसके साथ ही यह रेल हिमालय स्थित नेपाल और भूटान के लिए रेल शीर्ष के रूप में भी कार्य करती है तथा बंगलादेश रेल के साथ अंतर्बदल की सुविधा भी प्रदान करती है। |